ग्लूटेन क्या है? इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस) क्या होता है?
क्या ग्लूटेन हमारे लिए हानिकारक है?
ग्लूटेन क्या है? – अपने पिछले लेख में, “रोटी या चावल! डाइबिटीज़ और वजन घटाने के लिए हम क्या खाएँ?” मैंने आपको रोटी और चावल खाने के फायदे और नुकसान के बारे में बताया था। आपको अब यह भी पता है कि अगर कोई मधुमेह या मोटापे से ग्रस्त है, तो दोनों विकल्प खतरनाक हैं लेकिन फिर भी आप “चावल” के साथ जा सकते हैं क्योंकि यह रोटी से कम हानिकारक होता है। अब हम जानते हैं कि गेहूं की रोटी के सेवन से शुगर की समस्या और कई हार्मोनल समस्याएं हो सकती हैं लेकिन गेहूं की रोटी से बचने का एक और महत्वपूर्ण कारण इसमें ग्लूटेन की उपस्थिति है। यह ब्लॉग मुख्य रूप से मौजूदा बाजार में उपलब्ध ग्लूटेन और ग्लूटेन मुक्त उत्पादों से संबंधित नुकसान पर ध्यान केंद्रित करेगा।
ग्लूटेन क्या है? इसका अर्थ है “गोंद”, एक प्रकार का प्रोटीन जो मुख्य रूप से गेहूं, जौ, राई और ट्रिटिकल (क्रॉसब्रीड) में पाया जाता है। यह सैकड़ों विशिष्ट प्रोटीन या अमीनो एसिड जैसे कि जिलायीडिन और ग्लूटेनिन का एक जटिल मिश्रण है। गेहूं के आटे में बाध्यकारी प्रभाव विकसित करने लिए ग्लूटेन आवश्यक है। यदि बंधन उचित नहीं है, तो एक व्यवहार्य आटा बनाना मुश्किल होगा। ग्लूटेन आटे को इलास्टिसिटी और आकार देता है।
आप सोच रहे होंगे कि मैं ग्लूटेन को खराब क्यों मान रही हूँ जबकि यह हमारे शरीर के लिए फायदेमंद प्रोटीन है!
गेहूं के आटे का चौंकाने वाला इतिहास
यहाँ तार्किक कारण है। ग्लूटेन हमारे शरीर के सिस्टम में आंशिक रूप से पचता रहता है। आजकल हम जेनेटिकली मॉडिफाइड गेहूं खा रहे हैं! जी हां, आपने सही पढ़ा है। पहले गेहूं की फसल की ऊंचाई 6 से 7 फीट होती थी और इसकी खेती आबादी के बड़े हिस्से की मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं थी। भारी बारिश या हवाएं इतनी लंबी गेहूं की फसलों को नुकसान पहुंचाने या नष्ट करने का कारण होते थे। एक अमेरिकी कृषिविद, नॉर्मन बोरलॉग ने गेहूं की फसल में कुछ जेनेटिक परिवर्तन लाकर संशोधित किया, जिससे कम ऊंचाई वाली गेहूं का उत्पादन हुआ और इसकी कुल ऊंचाई लगभग 3 से 4 फीट थी।

गेहूं के इस तरह के उच्च उपज वाले किस्म (एचवाईवी) के कारण कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई जिसे “हरित क्रांति” के रूप में भी जाना जाता है। दुनिया भर में एक अरब से अधिक लोगों को भुखमरी से बचाने के लिए नॉर्मन बोरलॉग को कई पुरस्कार और कई सम्मान मिले। वह “हरित क्रांति के जनक” हैं।
आपने एक कहावत तो सुनी ही होगी कि एक सिक्के के दो पहलू होते हैं। नॉर्मन बोरलॉग को उनके आविष्कार के लिए पुरस्कार मिला लेकिन उनके शोध का एक नकारात्मक पहलू था। वो है “ग्लूटेन” जिसके बारे में कभी किसी ने सोचा नहीं !
यह आपकी जानकारी के लिए है कि ग्लूटेन में ग्लूटेनिन होता है। इसमें अमीनो एसिड श्रृंखला होती है जिसे हमारे पाचन एंजाइम आसानी से तोड़ सकते हैं, अवशोषित कर सकते हैं और आगे उपयोग कर सकते हैं। लेकिन जिलायीडिन के साथ ऐसा नहीं है क्योंकि इसकी अमीनो एसिड श्रृंखला ग्लूटेनिन से थोड़ी अलग है। हमारे पाचक एंजाइम इसे पूरी तरह से तोड़ने में असमर्थ होते हैं जिसके परिणामस्वरूप आंशिक रूप से चैन टूट जाती हैं। हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली आंशिक रूप से टूटी इन चैन को नहीं पहचान सकती है। इसलिए हमारा डिफेंस सिस्टम या इम्यून सैल्स इन चैन को फ़ौरन बॉडी मानकर इन पर हमला करना शुरू कर देता हैं।

ग्लूटेन की मुख्य कमियां
पोषण का सबसे बड़ा दोष आजकल गेहूं की रोटी का लगातार सेवन है। इससे हमारे इम्यून सैल्स द्वारा बिना पचे ग्लूटेन यानी जिलायीडिन पर नॉन-स्टॉप हमला होता है। यह आगे चलकर दूसरे सैल्स या कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है और कई जटिलताओं को जन्म देता है। उदाहरण के रूप में सीलिएक रोग, इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) या सूजन। इसका मतलब है कि हमें कभी भी अपने आहार में ग्लूटेन युक्त उत्पादों को शामिल नहीं करना चाहिए। यही कारण है कि हम बाजार में विभिन्न कंपनियों द्वारा पेश किए गए ग्लूटेन-मुक्त आटे को ढूंढते हैं। ग्लूटेन कई खाद्य उत्पादों में पाया जाता है, इसलिए उन्हें खरीदने से पहले हमेशा लेबल या घटक सूची पढ़ें।
ग्लूटेन-मुक्त आटा कई आटे के मिश्रण से बना है। जैसे कि बादाम का आटा, चावल का आटा, टैपिओका आटा और ज्वार का आटा। ऐसे आटे में ग्लूटेन न होने के कारण बाध्यकारी गुण बहुत कम होते हैं। जिसकी वजह से इसकी रोटी बनाना मुश्किल हो जाता है और इसीलिए बाध्यकारी गुण पाने के लिए इनमें ज़ैनथन गम मिलाया जाता है।

आप पहले से ही जानते हैं कि आटा कार्बोहाइड्रेट की श्रेणी में आता है और मैंने आपको हमेशा यह सलाह दी है कि आप अपने आहार में कार्बोहाइड्रेट को कम करें या उससे बचें। यदि आप एक नौसिखिया हैं और आप सही पोषण पर स्विच करने की कोशिश कर रहे हैं तो आप ग्लूटेन-मुक्त आटा खा सकते हैं। सही पोषण एक ऐसे आहार को दर्शाता है जिसमें कम से कम कार्बोहाइड्रेट हो और पर्याप्त प्रोटीन और फैट हो। हमारा उद्देश्य यह रहना चाहिए की हमें हमेशा कार्बोहाइड्रेट को कम या बिलकुल नहीं खाना है जो कि विशुद्ध रूप से शुगर यानि शर्करा है जैसा कि मैंने अपने पिछले लेख में बताया था, “रोटी या चावल- मधुमेह और वजन घटाने के लिए हमें क्या खाना चाहिए?”
अगर आप यही ब्लॉग अंग्रेजी भाषा में पढ़ना चाहते हैं तो दिए गए लिंक पर क्लिक करें → What is Gluten? | What is Irritable Bowel Syndrome (IBS)?
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डिसक्लेमर: यह लेख या ब्लॉग वेबसाइट और पब्लिक डोमेन से मिली जानकारियों के आधार पर बनाया गया है, मै अपनी तरफ से इसकी पुष्टि नहीं कर सकती हूँ ! यहाँ मैने अपने विचार प्रकट करने की एक कोशिश की है !
FAQ
ग्लूटेन के नुकसान क्या है ?
ग्लूटेन से सीलिएक रोग, इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) या सूजन हो सकती है। ग्लूटेन में ग्लूटेनिन और जिलायीडिन एमिनो एसिड यानि प्रोटीन होते हैं। हमारे पाचक एंजाइम जिलायीडिन को पूरी तरह से तोड़ने में असमर्थ होते हैं जिसके परिणामस्वरूप आंशिक रूप से चैन टूटती हैं। हमारा डिफेंस सिस्टम इसे नहीं पहचान पाता जिसकी वजह से वो हमारे अपने सैल्स पर अटैक करना शुरू कर देता है। और अधिक जानिए
ग्लूटेन क्या होता है ?
ग्लूटेन क्या है? इसका अर्थ है “गोंद”, एक प्रकार का प्रोटीन जो मुख्य रूप से गेहूं, जौ, राई और ट्रिटिकल (क्रॉसब्रीड) में पाया जाता है। यह सैकड़ों विशिष्ट प्रोटीन या अमीनो एसिड जैसे कि जिलायीडिन और ग्लूटेनिन का एक जटिल मिश्रण है। और अधिक जानिए
इरिटेबल बाउल सिंड्रोम क्या होता है ?
हमारे इम्यून सैल्स हमारे ही अन्य सैल्स या कोशिकाओं पर हमला करने लगते हैं जैसे की बड़ी आँत में होता है । और अधिक जानिए
ग्लूटेन किसमें पाया जाता है ?
ग्लूटेन जौ, राई ,गेहूं और ट्रिटिकल (क्रॉसब्रीड) जैसे खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। सीलिएक और इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) से पीड़ित लोगों को इससे एलर्जी होती है । और अधिक जानिए